बिहार का ऐतिहासिक नालंदा विश्वविद्यालय, जो एक समय में वैश्विक शिक्षा का केंद्र था और जिसे आक्रांताओं ने नष्ट कर दिया था, अब 800 वर्षों के लंबे अंतराल के बाद एक बार फिर शिक्षा और ज्ञान के प्रसार के लिए तैयार है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज इस नव-निर्मित परिसर का उद्घाटन करेंगे, जो भारत के प्राचीन गौरव की वापसी का प्रतीक है।
राजगीर और नालंदा दौरे को लेकर सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद
प्रधानमंत्री के आगमन को लेकर सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए गए हैं। एसपीजी ने नालंदा विश्वविद्यालय और राजगीर में मोर्चा संभाल लिया है। अधिकारियों के साथ विशेष बैठकें कर सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लिया गया है, ताकि कार्यक्रम का संचालन बिना किसी व्यवधान के हो सके।
नेट जीरो परिसर: आधुनिक तकनीक से लैस, पर्यावरण के अनुकूल
19 जून को प्रधानमंत्री मोदी जिस परिसर का उद्घाटन करेंगे, वह 455 एकड़ में फैला हुआ है और ₹1749 करोड़ की लागत से विकसित किया गया है। यह परिसर नेट ज़ीरो एमिशन आधारित है, जो पर्यावरण के अनुकूल निर्माण का उदाहरण है। प्रधानमंत्री परिसर में पौधारोपण भी करेंगे और प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय के भग्नावशेषों का अवलोकन करेंगे।
देश-दुनिया की प्रमुख हस्तियां होंगी शामिल
इस ऐतिहासिक मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ विदेश मंत्री एस. जयशंकर, बिहार के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और कुलाधिपति अरविंद पनगढ़िया मौजूद रहेंगे। इसके अलावा 17 देशों के राजदूत और नालंदा विश्वविद्यालय में अध्ययन कर रहे विभिन्न देशों के छात्र-छात्राएं भी इस कार्यक्रम का हिस्सा बनेंगे।
विश्व गुरु बनने की दिशा में बड़ा कदम
कुलपति प्रोफेसर अभय कुमार सिंह ने इस अवसर को ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि भारत को फिर से विश्व गुरु बनाने की दिशा में यह एक अहम कदम है। उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय में पिछले सत्र में 26 देशों के विद्यार्थी पढ़ाई कर रहे थे, जिनमें अमेरिका, अफ्रीका, दक्षिण एशिया और मध्य एशिया के छात्र शामिल हैं। यह भूमि ज्ञान, शांति और वैश्विक संवाद की भूमि बन चुकी है।
नालंदा: इतिहास की पुनरावृत्ति और भविष्य की नींव
नालंदा विश्वविद्यालय का पुनर्निर्माण न केवल अतीत के गौरव को पुनर्स्थापित करता है, बल्कि यह भारत की वैश्विक शिक्षा जगत में वापसी की नई नींव भी रखता है। 800 वर्षों के इस इंतजार का अंत अब एक नए युग की शुरुआत बन चुका है।