छत्तीसगढ़ में विष्णुदेव साय के नेतृत्व में भाजपा सरकार को छह महीने पूरे हो चुके हैं। विधानसभा चुनाव और उसके बाद संपन्न हुए लोकसभा चुनाव के बाद अब राज्य सरकार निगम, मंडल और आयोगों में नियुक्तियों की प्रक्रिया शुरू करने जा रही है। इस बार पार्टी का फोकस नए चेहरों और पुराने लेकिन पदविहीन नेताओं को मौका देने पर है।
लगभग 20 निगम-मंडलों में होगी पहली चरण की नियुक्ति
पार्टी सूत्रों के अनुसार, पहले चरण में करीब 20 निगम-मंडलों में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और सदस्य पदों पर नियुक्ति की जाएगी। इनमें से 12 नियुक्तियां तय मापदंडों और कोटे के आधार पर होंगी, जबकि बाकी 8 नेताओं को संगठन व मंत्रियों की सिफारिश पर पद दिए जाएंगे।
नाराज और उपेक्षित नेताओं को किया जाएगा संतुष्ट
ऐसे नेता जो पिछले 15 वर्षों से सत्ता से दूर थे या जिन्हें विधानसभा या निकाय चुनावों में टिकट नहीं मिला, उन्हें निगम-मंडल में नियुक्त करके संतुष्ट किया जाएगा। यह भाजपा की रणनीति का हिस्सा है, जिससे संगठन के अंदर के असंतोष को खत्म किया जा सके।
मंत्रिमंडल विस्तार पर भी जल्द फैसला संभव
सूत्रों की मानें तो खाली पड़े मंत्री पदों को भरने को लेकर भी विचार चल रहा है। मंत्रिमंडल विस्तार पर भाजपा जल्द फैसला ले सकती है, जिससे प्रशासनिक मजबूती और राजनीतिक संतुलन दोनों साधे जा सकें।
30 से अधिक निगम-मंडल और आयोगों में नियुक्तियों की संभावना
राज्य में 30 से अधिक निगम-मंडल और आयोग ऐसे हैं, जिनमें भाजपा सरकार बनने के बाद से नियुक्तियां लंबित हैं। कांग्रेस शासन में नियुक्त नेताओं में से अधिकांश ने पद से इस्तीफा दे दिया है या कोर्ट के आदेश से पद पर टिके हुए हैं। अब इन पदों को नए सिरे से भाजपा के नेताओं से भरा जाएगा।
निगम-मंडल के अध्यक्षों को मिलेगा मंत्री जैसा दर्जा
निगम-मंडलों के अध्यक्षों को राज्य सरकार द्वारा कैबिनेट या राज्य मंत्री का दर्जा दिया जाता है। इसके साथ ही उन्हें सरकारी आवास, वाहन, वेतन-भत्ते समेत अन्य सुविधाएं भी मिलती हैं। ऐसे में यह नियुक्तियां पार्टी कार्यकर्ताओं और नेताओं के लिए सत्ता-साझेदारी का प्रतीक बनती हैं।
माध्यमिक शिक्षा मंडल में नई नियुक्तियों का संकेत
हाल ही में माध्यमिक शिक्षा मंडल में अशासकीय सदस्यों की नियुक्ति की गई है, जिसमें पुराने भाजपा कार्यकर्ताओं के साथ 5 विधायकों को भी शामिल किया गया। इसके तहत कांग्रेस से जुड़े सदस्यों को हटाकर भाजपा कार्यकर्ताओं को जिम्मेदारी दी गई है।
निकाय चुनाव से पहले संगठनात्मक संतुलन साधने की तैयारी
निकाय चुनावों की तिथि जैसे-जैसे नजदीक आ रही है, सरकार संगठनात्मक संतुलन और कार्यकर्ताओं के मनोबल को बनाए रखने के लिए ताबड़तोड़ फैसले लेने की तैयारी में है। नियुक्तियों का यह दौर भाजपा के आगामी चुनावी एजेंडे का अहम हिस्सा हो सकता है।